यह है दीपका का मुक्तिधाम आप देख सकते हैं की मुक्तिधाम कितना जर्जर हो चूका है। यह कभी भी इसका छत टूटकर गिर सकता है। छत के निचे के प्लास्टर पूरी तरह से भर भरा गए हैं। उसकी छड़े नजर आ रही है और तो और कई जगहों से तो छत पूरा टूटकर गिर चूका है।
हम किसी परिवार के साथ दाह संस्कार में शामिल हुवे थे। हमने देखा की लाश को ज़ब जलाने के पहले परिक्रमा करवाया जा रहा था। तब चार लोगों को लाश लेकर घोल घूमते भी नहीं बन रहा था। इतना कम जगह में मुक्तिधाम बनाया गया था। ना जाने किस इंजिनियर ने यह नक्शा क्या सोचकर पास किया था। आज उसका खामियाजा आम जन मानस को उठाना पड़ रहा है।


मुक्तिधाम जैसे स्थल पर भी भ्रष्टाचार करना नहीं छोड़ रहे हैं। जिन्दा तो जिन्दा मुर्दा लोगों के लिए जो स्थान बनाये जा रहे हैं उसमे भी भ्रष्टाचार और आज तक ना जाने कितने ही लोग अपने परिवार के किसी मृत सदस्यों की डेड बॉडी का दाह संस्कार करने यहाँ पहुंचते होंगे और कितने ही लोगों को असुविधा हुई होगी जिसकी गिनती लगा पाना तो मुश्किल है।
ज्योति नगर के पार्षद के साथ ही साथ दीपका नगर पालिका का यह दायित्व बनता है की वह इस जर्जर हो चुके मुक्ति धाम को तोड़कर उस स्थान पर अब नया बनवाएं क्योंकि देखने में ऐसा लग रहा है की अब ना जाने कब यह टूटकर भर भरकार निचे गिर जाये।
वैसे छत का कुछ हिस्सा पहले टूटकर गिर चूका है। और वहाँ से आसमान साफ नजर आने लगा है। यहाँ हादसा होने की गुंजाइस है। हो सकता है कोई इसमें लाश का दाह संस्कार करने आये और इस जर्जर हो चुके मुक्तिधाम की छत उनके सर पर गिर जाये और लाश का दाह संस्कार करने आये लोग खुद परलोक सिधार जाएं। इससे पहले की कोई अप्रिय वारदात घटित हो संबंधित वार्ड के पार्षद एवं नगर पालिका परिषद दीपका के अध्यक्ष महोदय को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।
ओर जर्जर हो चुके पुराने मुक्तिधाम को तोड़कर उस स्थान पर नया बना देना चाहिए जिससे लोगों को हो रही असुविधा से उन्हें मुक्ति मिलेगी
Uday Kumar serves as the Editor of Nawa Chhattisgarh, a Hindi-language news outlet. He is credited as the author of articles covering local, regional, and national developments.

