
मूलनिवासी संघ के कोरबा जिलाध्यक्ष उदय चौधरी नें SECL दिपका प्रबंधन को लिखें पत्र में कहा है की मलगांव के भू विस्थापितों को SECL प्रबंधन के अधिकारी जो नापी पत्रक ऑन द स्पॉट दिए हैं। उन नापी पत्रक में SECL प्रबंधन के सील तक नहीं लगाए गए हैं। हांथो से लिखकर यूँही हैंड टू हैंड नापी पत्रक दे दिए गए हैं। और तो और ग्रामीणों के मुआवजा राशि में मनमाने तरिके से कटौती की गई है।
वह कटौती क्यों की गई इसका कोई स्पष्टीकरण SECL दिपका प्रबंधन का कोई अधिकारी जवाब देने में सक्षम नहीं। पूछने पर गोलमोल जवाब मिल रहे हैं। जो बड़े घोटाले की ओर इशारा कर रहे हैं। और तो और सुचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने पर SECL प्रबंधन मलगांव के विषय पर किसी तरह की कोई जानकारी नहीं दे रहा। इससे भ्रष्टाचार की बू आ रही है।

यहाँ तक की संबंधित अधिकारीयों से लगाए गए RTI के सन्दर्भ में पूछने पर भी किसी तरह का कोई जवाब नहीं दिया जा रहा।
मलगांव में घोटाला तो कर लिए अब ज़ब उन विषयों पर कोई सवाल जवाब करता है तो दिपका प्रबंधन के भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी गण ऐसे चीखने चिल्लाने लगते हैं जैसे कोई उनका कर्जा खाकर बैठा हो। RTI लगाने के ठीक दूसरे ही दिन ज़ब RTI एक्टिविस्ट दिपका GM के कार्यालय में गए थे तो GM महोदय आग बबूला होकर अपने केविन में चीख चिल्ला रहे थे।
जिससे यह महसूस हो रहा है की जरूर GM साहब मलगांव मुआवजा घोटाले में पूरी तरह से इन्वॉल्व हैं तभी वह इस तरह के तेवर दिखा रहे हैं। वहीँ दिपका GM साहब ST/SC वर्ग के लोगो को व ARMY को आगे करके बातें करने लगे हैं। अगर वह सच्चे हैं उन्होंने किसी तरह का कोई घोटाला नहीं किया तो वह भू विस्थापितों से डायरेक्ट मिलने से इतना घबरा क्यों रहे हैं।
आखिरकार वह भू विस्थापित हैं कोई आतंकवादी तो नहीं हैं फिर GM साहब इस तरह का व्यवहार भू विस्थापितों के साथ में कर रहे हैं यह अत्यंत ही निंदनीय हैं। पहले तो लोगो की जमीने ली जाती है फिर बाद में उन्हें मुआवजा, रोजगार, बसाहट इत्यादि के लिए भटकाया जाता है। फिर क्या बस ऑफिस के चक्कर काटते भू विस्थापितों के दिन महीने साल गुजरते रहते हैं।
ज़ब लोग अपनें मुआवजे में किए गए कटौती के बारे में पूछने के लिए संबंधित SECL दिपका के अधिकारीयों के समक्ष जाते हैं। तब अधिकारीगण उनसे यह पूछते हैं की मुआवजा कम बना है यह आप किस आधार पर बोल सकते हैं। ज़ब की जवाब स्वयं SECL के अधिकारीयों के पास है। वह पीड़ित का नापी पत्रक एवं मुआवजा पत्रक अगर मिला लें तो समझ में आ जायेगा की बिच का जो अंतर है वह पैसा मनमाने तरीके से काटकर झोलझाल किया गया है।

इस तरह का पेपर में बिना सील लगाए बिना अमाउंट लिखें बिना टाइपिंग के हांथो से लिखकर नापी पत्रक बनाकर कागज ग्रामीणों को SECL दिपका प्रबंधन द्वारा दिया जाता है। जिससे षड़यंत्र की बू साफ साफ आ रही है। भोले भाले ग्रामीणों के साथ पढ़े लिखें SECL के बुद्धि जीवी अधिकारी किस तरह से छल कर रहे हैं यह आप इस कागज से साफ साफ महसूस कर सकते हैं। कागज भी इतना रद्दी इस्तेमाल किया गया है की वह कुछ ही महीनो में रखें रखे गल जा रहा है। उसमे लिखने के लिए ऐसे श्याही वाले पेन का इस्तेमाल किया जा रहा है जो चंद महीनो में मिट जा रहे हैं।
गांव खाली करवाने के लिए ग्रामीणों को जमीन के बदले या तो बसाहट या बसाहट के बदले 15 लाख प्रत्येक को देने का वायदा किया गया था। मगर अधिकांश लोगो को ना तो बसाहट मिला ना बसाहट के बदले 15 लाख दिया गया ना ही अन्य कुछ दिया गया आलम यह है की भू विस्थापित किराये के घरों में रहने को विवश हो चुके हैं। उनसे गांव जल्दी खाली करने समय यह भी वायदा किया गया था की आपकी ज़ब तक व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक आपके लिए किराया राशि दी जाएगी। मगर किसी को भी SECL प्रबंधन किराया राशि नहीं दे रहा।
अब जो घर टूट जाने से किराये रूम में रह रहे हैं उनकी इस परिस्थिति का जिम्मेदार तो SECL प्रबंधन ही है तो उसका यह दायित्व बनता है की वह जो नुकसान पहुंचाया है उसकी भरपाई करे और उनकी वज़ह से जो भू मालिक जो मकान मालिक आज किराये के मकान में रह रहे हैं। उन्हें किराया चुकाने के लिए रकम SECL DIPKA प्रबंधन अदा करें तब उनके साथ न्याय होगा
लगातार मलगांव वासी SECL से पत्राचार करके सवाल जवाब करने लगे हैं। मौखिक रूप से अधिकारियो से सवाल जवाब करने पर वह एक सवाल के 100 जवाब रटकर पहले ही बैठे हुवे हैं ज़ब भू विस्थापित उनसे किसी विषय पर कोई सवाल जवाब करता है तो तोते की तरह SECL के अधिकारी टर्र टर्र करने लगते हैं। मगर ज़ब उन्हें कहा जाता है की यही बात लिखित में दीजिये तब अधिकारी चुप हो जाते हैं।
मतलब भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए अनेक झूठ रटकर बैठे हैं। अब ज़ब मलगांव वासी लिखित रूप से प्रबंधन से सवाल जवाब करने लगे हैं तब SECL दीपका प्रबंधन की सांसे फूलने लगी है। मलगांव भ्रष्टाचार करते हुवे इन्होने सोचा भी नहीं होगा की यह मामला इतना उजागर हो जायेगा। सारे भ्रष्टाचारी चोरी छुपके भ्रष्टाचार कर लिए अब सबकी सांसे फूली जा रही है। ज़ब तैरकर चीजें तालाब में उफलने लगी हैं।
पढ़े लिखे बुद्धि जीवी किस दिशा में अपनी ऊर्जा लगा रहे हैं यह मलगांव केस से साफ नजर आ रहा है। ननकीराम कंवर नें तो उक्त केस में कोरबा जिला कलेक्टर महोदय को भी भ्रष्टाचार में लिंक बतलाये हैं। अब जिले के जिलाधीश तक भ्रष्टाचार में लिप्त हैं तो उनके निचे के अधिकारीयों का क्या हाल होगा इस बात की परिकल्पना की जा सकती है। आज मलगांव वासियों को अगर सबसे ज्यादा जरूरत है तो पढ़े लिखें जोशीले युवाओं की मगर अफ़सोस की युवा पीढ़ी नेक काम में आगे नहीं बढ रहे। मलगांव के ग्रामीण ज्यादा साक्षर नहीं जिसका फायदा उठाते हुवे तमाम पढ़े लिखें लोगो की टीम इन्हे ढग दिए।
इनका सब कुछ उजड़ गया अब इनके पास उम्मीद के अलावा और कुछ बांकी नहीं रहा। नवा छत्तीसगढ़ इनकी हर आवाज बुलंद कर रहा है। और समाज से भी हमें यही अपेक्षा है की मानवता यहाँ शर्मशार होती नजर आ रही है अगर आज आप खामोश रहे तो कल आपकी बारी है। झूठे लोग समाज में इसलिए हावी हो रहे हैं क्योंकि सच्चे लोग चुप्पी साधे बैठे हुवे हैं। लेकिन ज़ब आग की लपटें उनके घरों को जलाना शुरू कर रही है तब वह भी चीखना चिल्लाना शुरू कर देते हैं।
भारत के किसी हिस्से में कुछ अनैतिक होता है तो मोमबत्ती लेकर पुरे देश में ऐसे एकता दिखाई जाती है की मानो अब देश जाग चूका हो मगर यहाँ पूरा मलगांव उजाड़कर रख दिया गया और क्षेत्र में एक से बढ़कर एक बुद्धि जीवी व्यक्ति हैं मगर किसी की इतनी मजाल नहीं जो इस मुद्दे पर ग्रामीणों के साथ खड़ा हो सकें।
एक से बढ़कर एक संगठन हैं छत्तीसगढ़ में जो सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं मगर आप पाएंगे की कोई संगठन मलगांव के मुद्दे में आगे क्यों नहीं आ रहा आखिर लोगो की कौन सी मजबूरी है जो इस केस में कोई संगठन आगे नहीं रहा। पुरे छत्तीसगढ़ प्रदेश में अनेकों सामाजिक संगठन हुंकार भरती हुई नजर आ रही है। मगर इस मुद्दे से सब दूर भागते नजर आ रहे हैं।
हमने इसके पीछे की वज़ह जानने की कोशिश की तो पता चला कलिंगा नामक कंपनी SECL से 5000 करोड़ का उत्खनन कार्य करने का ठेका ले रखी है। अब उत्खनन का कार्य तो तब होगा ज़ब गांव वहाँ से हटेंगे। SECL के अधिकारीयों का कहना है की ठेका कंपनियों को गांव खाली करवाने में मदद करने का एग्रीमेंट भी किया गया है।
इसलिए कलिंगा कंपनी मलगांव को खाली करवाने में SECL की मदद की। अब सवाल यह उठता है की सहयोग और गुंडई में अंतर होता है या नहीं। ग्राम मलगांव को बन्दुक की नोक पर खाली करवाया गया है यह बात अब किसी छत्तीसगढ़ वासियों से छुपी नहीं रह गई।
यहाँ तक की मलगांव के पीड़ित लोग ननकी राम के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी वेदना बतलाने गए थे और ज़ब ननकीराम कंवर जी को हॉउस अरेस्ट कर लिया गया था तब मलगांव वासी मीडिया के सामने चीख चीखकर यह बात बतलाएं की किस तरह बंदूक की नोक पर जोर जबरदस्ती करके उनका घर खाली करवाया गया। भाजपा शासन में इस तरह की करतूते की जा रही हैं।
जिसमे शासन प्रशासन भी ऐसे लोगो का भरपूर सहयोग कर रहे हैं। जिस तरह से अंग्रेजी हुकूमत नें भारतियों पर अत्याचार किए थे आज ठीक उसी तरह भाजपा सरकार के संरक्षण में कलिंगा कंपनी जैसे लोग खुले आम गुंडागर्दी करते नजर आ रहे हैं। जो पैसों के दम पर स्थानीय जन प्रतिनिधि पत्रकारों व प्रशासनिक अधिकारीयों को खरीदकर बंदूक की नोक पर गांव खाली करवा रहे हैं।
कोल् बियरिंग एक्ट की धज्जियाँ उड़ाते हुवे सारे नियम ताक पर रखकर SECL प्रबंधन एवं कलिंगा कंपनी न मिलकर मलगांव को बंदूक की नोक पर खाली करवाया। ग्राम वासियों की मुआवजा, पूनर्वाश, रोजगार इत्यादि प्रक्रिया पूर्ण हुवे बगैर गांव खाली करवा देने का खामियाजा आज मलगांव वासियों को उठाना पड़ रहा है। जिसकी वज़ह से ग्रामीण किराये के रूम में रहने को मजबूर हो गए भू मालिक को मकान मालिक को किराये के मकान में रहना पड़ रहा है ना उचित मुआवजा मिला ना रोजागार ना ही पुर्नवास अब ग्रामीण जाएं तो जाएं कहाँ करें तो करें क्या। जिले स्तर पर कोई उनकी सुनने व कार्यवाही करवाने को तैयार नहीं।
Uday Kumar serves as the Editor of Nawa Chhattisgarh, a Hindi-language news outlet. He is credited as the author of articles covering local, regional, and national developments.

